SAVE WEST BENGAL FROM TRINAMOOL CONGRESS

RESIST FASCIST TERROR IN WB BY TMC-MAOIST-POLICE-MEDIA NEXUS

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Monday, February 17, 2020

नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) और एनआरसी के ख़िलाफ़ दिल्ली में 24 घंटे धरने प्रदर्शन पर डटी महिलाओं के साथ एकजुटता दिखाने के लिए मुहब्बत का दिन यानी वैलंटाइन्स डे, 14 फ़रवरी को देश के अलग-अलग इलाक़ों से आने वाली महिलाओं ने 'महिला एकता यात्रा' की शुरुआत की। ये तीन दिवसीय यात्रा धर्मनिर्पेक्ष और समावेशी भारत के लिए महिलाओं द्वारा आयोजित की गई थी। इस यात्रा में शामिल अमृता जोहरी ने न्यूज़क्लिक को बताया, "हमारी इस यात्रा का मक़सद धरने पर बैठी महिलाओं के साथ एकजुटता दिखाना, उनका हौसला बढ़ाना है। इसके साथ ही हम सरकार को ये भी बताना चाहते हैं कि ये लड़ाई सिर्फ़ मुस्लिम समुदाय की नहीं है और ना ही किसी धर्म, जाति या लिंग विशेष की है, ये लड़ाई सभी की है।" महिला एकता यात्रा की शुरुआत पूर्वी दिल्ली के सुंदर नगरी इलाके से हुई और 16 फरवरी को शाहीन बाग की महिलाओं से मिलकर समाप्त हुई। इस यात्रा में चांद बाग़, सीलमपुर, खुरेजी, आजाद मार्केट, ईदगाह, तुर्कमान गेट, निज़ामुद्दीन, हौज़ रानी के धरना स्थलों का दौरा महिलाओं ने किया। यहां महिलाएं बीते लगभग एक महीने से रात-दिन धरने पर बैठी हैं और सरकार से सीएए और एनआरसी को वापस लेने की मांग कर रही हैं। सुंगर नगरी की आइशा कहती हैं, "सरकार का कहना है कि सीएए नागरिकता देने का क़ानून है, लेने का नहीं। लेकिन फिर इसमें सभी धर्मों को नागरिकता देने की बात क्यों नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 को मिलाकर देखें तो हमारा संविधान हमें बराबरी का अधिकार देता है, जबकि यह क़ानून हमारे साथ भेदभाव करता है। सरकार कहती है कि एनपीआर पहले से चलता आ रहा है, फिर अब इसमें माता- पिता की जानकारी संबंधी नए सवाल जोड़ने की क्या ज़रूरत पड़ गई। हम सब समझते हैं कि सरकार हमारे साथ क्या करना चाहती हैं।" आइशा के आंदोलन और उनकी बातों के साथ एकजुटता दिखाते हुए महिला एकता यात्रा में शामिल सीपीआई लीडर और एक्टिविस्ट एनी राजा ने कहा, "महिलाएं सब समझती हैं, ये आंदोलन हिंदू-मुस्लमान का नहीं है, ये लड़ाई संविधान को बचाने की है। 'मोशा' (मोदी-शाह) को ये बताने की है कि हम डरने वाले नहीं हैं, हारने वाले भी नहीं हैं। हम संघर्ष करेंगे और जीत हासिल करेंगे।" पहले दिन सुंदर नगरी से महिलाओं की एकता यात्रा का अगला पड़ाव चांद बाग़ था, जिससे पहले ही पुलिस ने गगन सिनेमा के पास इनके कारवां को रोक दिया। पुलिस ने आगे लॉ एंड ऑर्डर का हवाला देते हुए अगले आदेश तक इन महिलाओं को वहीं इंतज़ार करने का निर्देश दिया। लगभग एक घंटे बाद जब महिलाओं की ओर से वकील आईं और उन्होंने पुलिस के रोके जाने पर सवाल खड़े किए, तब जाकर पुलिस ख़ुद महिलाओं के दल को चांद बाग़ की ओर ले कर गई। पुलिस से जब पूछा गया कि आख़िर महिलाओं को क्यों रोका गया तो पुलिस के पास इसका कोई वाजिब कारण नहीं था सिवाय इसके कि यह क़ानून-व्यवस्था का मामला है। समाजिक कार्यकर्ता अंजली भारद्वाज ने महिलाओं की हिम्मत को सलाम करते हुए कहा, "महिलाओं के इस आंदोलन ने पूरे देश में एक नया जोश भर दिया है, दिल्ली के शाहीन बाग़ से लेकर लखनऊ के घंटाघर तक महिलाओं ने एक नया इतिहास लिख दिया है, जिससे सरकार डर गई है। ये महिलाओं की ताक़त है जो घर को संवारने के साथ-साथ देश संवारने की कला भी जानती हैं।" इस यात्रा के दौरान महिलाओं ने अलग-अलग भाषाओं में संविधान की प्रस्तावना पढ़ी गई, देशभक्ति नारे लगाे। अहमदाबाद से आए चारूल और विनय ने अपने क्रांतिकारी गानों से महिलाओं के जज़्बे को सलाम किया। एक के बाद एक महिलाओं ने सीएए के बारे में अपने विचार प्रस्तुत किए और सरकार से इसे वापस लेने की मांग की। एक प्रदर्शनकारी तब्बसुम ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा, "हम महीने भर से अपने हक़ के लिए सड़कों पर बैठे हैं, देश के संविधान की आत्मा को बचाने के लिए बैठे हैं। हम सरकार को ये बताना चाहते हैं कि हम सीएए और एनआरसी को नहीं मानते ना ही हम कोई काग़ज़ दिखाएंगे। पहले आधार बनवाया, फिर नोट बदलने की लंबी लाइनों में खड़ा कर दिया, अब एक बार फिर पुरखों के काग़ज़ के लिए हमें परेशान करने की कोशिश हो रही है।" आख़िरी दिन महिला अधिकारों के लिए आवाज़ बुलंद करने वाली कमला भसीन ने एकजुटता से संबंधित अपनी कविता 'मुट्ठी है' का पाठ किया, महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने और आगे बढ़ने पर बधाई भी दी। अपनी कविता 'मुबारक हो' से पूरी आधी आबादी को सलाम किया। ग़ौरतलब है कि सीएए और एनआरसी के खिलाफ देश भर में महिलाएं प्रदर्शन पर बैठी हैं और सरकार से इस कानून को वापस लेने की मांग कर रही हैँ। दिल्ली के शाहीन बाग की बदौलत देश में कई जगह शाहीन बाग़ जैसे मोर्चे खुल गए हैं। इन प्रदर्शनों में बड़ी संख्या में महिलाएं और छात्र शामिल हैं। यहां इंक़लाब जिंदाबाद, लड़ेंगे जीतेंगे, हिंदुस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगातार लगाए जाते हैं। प्रदर्शनकारी रंगीन तख्तियाँ, पोस्टर और बैनर लेकर रात भर प्रदर्शन कर रहे हैं।

सीएए-एनआरसी विरोध : महिलाओं के साथ एकजुटता दिखाते हुए महिला एकता यात्रा पूरी हुई | न्यूज़क्लिक