Friday, February 28, 2020

इस महीने के शुरू में दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए विशेष रूप से भाजपा का प्रचार भी जहर से भरा था। न्यूज़क्लिक ने विभिन्न रिपोर्टों में जहर, झूठ, अर्ध-सत्य और घृणा के इस कभी-न-देखे जाने वाले अभियान के बारे में बार-बार रिपोर्ट किया था। भाजपा नेताओं ने खुलेआम ‘देशद्रोहियों’ को गोली मारने के लिए दर्शकों को उकसाया, और जोर शोर से कहा कि "वे (मुसलमान) हमारे घरों में घुसेंगे और हमारी बेटियों के साथ बलात्कार करेंगे और यदि भाजपा को बहुमत नहीं दिया गया तो वे हमें घर में घुस कर मारेंगे।" संसद के प्रमुख बीजेपी के सदस्यों ने लोगों को कहा कि अगर सतर्कता न बरती गई तो मूगल राज वापस आ जाएगा। जैसा कि बार-बार बताया गया है, यह योजना न तो कुछ जोर शोर से बोलने वाले नेताओं के मुंह से निकल रही थी और न ही यह गुप्त रूप से धीमा बोलने वाले प्रचारों के माध्यम से चल रही थी। यह सबके सामने अपने खुले तौर पर मौजूद थी वह भी खुलेआम माइक के जरिए इस नफरत की घोषणा की जा रही थी। दिल्ली अविश्वास और चिंता से दंग थी। ऐसी गंभीर भविष्यवाणियां किसी को भी चिंतित और परेशान कर देंगी। जहां तक तात्कालिक चुनावों की बात है, तो ज्यादातर दिल्ली के लोगों ने आम आदमी पार्टी को वोट देना पसंद किया, जिसका नेतृत्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कर रहे थे। लेकिन दुख की बात है कि दिल्ली में भाजपा के नफरत के अभियान ने अपनी छाप छोड दी है। अब जब चुनाव हो चुके हैं और भाजपा निर्णायक रूप से पराजित हो गई है ऐसे में अब यह सांप्रदायिक प्रभाव जमीन के नीचे उबाल खा रहा है। याद रखें कि भाजपा केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी है। मुसलमानों, या अन्य अल्पसंख्यकों के प्रति शत्रुता को इसकी मंजूरी, दंगाईयों के भीतर डर को खत्म कर देती है। अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को न्यायपूर्ण और मज़बूत तरीके से पूरा मुक़ाबला नहीं किया जाएगा, खासकर अगर वह हिंसा भीड़ के जरिए हो। यहां तक कि अगर नकाबपोश लोग लोहे की रॉड से लैस होकर विश्वविद्यालय में प्रवेश करते हैं और शिक्षकों और छात्रों को पीटते हैं – तब भी सरकार कुछ नहीं करेगी। यहां तक कि अगर पुलिस पुस्तकालयों में प्रवेश करती है और छात्रों को पीटती है – तब भी कुछ नहीं होगा। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में, योगी आदित्यनाथ की पुलिस ने सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वालों पर क्रूरतापूर्वक हमला किया है, दर्जनों लोगों को गिरफ्तार किया, बदनाम किया, परिवारों पर भारी जुर्माना लगाया और 20 से अधिक लोगों की हत्या कर दी गई।

दिल्ली दंगा: नफरत की फसल की कटाई | न्यूज़क्लिक