Friday, February 28, 2020

मंगलवार को, दंगाई काफी सतर्क हो गए और उन्होंने कई पत्रकारों पर हमला किया और उन्हें वीडियो डिलीट करने पर मजबूर किया। सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों, मुख्य रूप से मुस्लिम समुदाय और जिन्हें कई हिंदुओं का समर्थन हासिल था, ने भी कथित तौर पर प्रतिक्रिया में पत्थर और बोतलें फेंकी। लेकिन, जैसा कि इस तरह के हालात में होता है, संख्या बल और पुलिस पूर्वाग्रह के कारण हालात उनके पक्ष में नहीं थे। पुलिस आयुक्त ने माना है कि पर्याप्त पुलिस बल उपलब्ध नहीं थे। सबको पता था कि ऐसी स्थिति होने वाली थी। जिस तेज़ी के साथ भाजपा और उसके सहयोगी संगठन के सशस्त्र गिरोहों पुलिस की निष्क्रियता का फायदा उठाकर हमला कर रहे थे वह कोई स्वयस्फुर्त घटना तो हो नही सकती थी। न ही यह हो सकता था कि कपिल मिश्रा ( पूर्व-विधायक) नफरत फैलाने वाला व्यक्ति घृणा फैलाए और गायब हो जाए। लेकिन रविवार से पहले ही जमीन तैयार कर दी गई थी। और इसे ही दिल्ली और देश के बाकी हिस्सों को देखने की जरूरत है।

दिल्ली दंगा: नफरत की फसल की कटाई | न्यूज़क्लिक