Monday, February 17, 2020

अब इस प्रकार का एक और विकल्प, एक बार फिर से दो श्रेणी के लोगों को जन्म देने वाला सिद्ध होता है- एक वे लोग जो स्वेच्छा से अपने माता-पिता के जन्म की तारीख और स्थान का खुलासा करने को तैयार हैं और दूसरे वे लोग जो ऐसा करने को लेकर अनिच्छुक हैं। भविष्य में जब कभी एनआरआईसी की प्रक्रिया को शुरू किया जाता है तो वे सभी लोग जिन्होंने अपने माता-पिता के बारे में जानकारी नहीं दी, वे सभी लोग संदिग्ध नागरिकता की श्रेणी में खिसकाए जाने के खतरों को झेल रहे होंगे, और उनसे अपने वैध नागरिकता के सुबूत पेश करने के लिए कहा जा सकता है। और इसमें कोई संदेह नहीं कि उनमें से खास तौर पर मुसलमानों को चिह्नित किया जाने वाला है जैसा कि हम दिल्ली विधानसभा के चुनाव में बीजेपी के द्वारा किये जा रहे जहरीले प्रचार अभियान के साथ मुसलमानों के बारे में भारतीय जनता पार्टी के पूर्वाग्रह से परिचित हैं।

शाहीन बाग़ का लक्ष्य होना चाहिए नागरिकता अधिनियम की धारा 14ए को निरस्त करवाना | न्यूज़क्लिक