Monday, March 23, 2020

जांच को जल्दी विस्तार देने से एक परेशानी पैदा हो सकती है. निजी अस्पताल सभी निमोनिया के मरीजो को, फिर चाहे वे कोविड-19 हों या न हों, वापस भेज सकते हैं इस डर से कि वे वायरस की जांच नहीं कर सकते और अन्य मरीजों के संक्रमित हो जाने का खतरा भी नहीं उठा सकते. जैन कहते हैं, “मुझे पक्का भरोसा है कि आने वाले दिनों में निमोनिया के मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा. सरकार संक्रमण की हद को अस्वीकार कर सकती है लेकिन इससे मरीजों का बचाव नहीं होगा. निजी अस्पताल उन्हें वापस भेज देंगे. ठीक वैसे ही जैसा उन्होंने कलबुर्गी के मरीज के साथ किया था.” फिलहाल जो संकेच मिल रहे हैं उनसे लगता है कि कोरोनावायरस के चलते भारतीय स्वास्थ्य क्षेत्र देश की स्वास्थ्य व्यवस्था के सारभूत मूल्यांकन के लिए मजबूर होगा.

कोरोनावायरस : भारत में टेस्टिंग किट और अस्पतालों में स्टाफ की कमी