Friday, April 24, 2020

जिस समय हम सोच रहे हैं कि चीज़ें उस वैश्विक महामारी से बदतर भला क्या हो सकती हैं, जो कि पृथ्वी के हर कोने तक पहुंच गयी है, जिससे 2 मिलियन से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं और अब तक 160,000 से अधिक में से 40,000 से अधिक लोग अमेरिका में मारे जा चुके हैं, ऐसे में राष्ट्रपति ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को अमेरिका से मिलने वाली सभी फ़ंडिंग को रोक दिये जाने की घोषणा कर दी है। ट्रंप की उस दलील को टॉम कॉटन और टॉड यंग जैसे रिपब्लिकन सीनेटरों का समर्थन भी हासिल है कि डब्ल्यूएचओ पर चीन का बहुत ज़्यादा असर है; COVID-19 संकट के शुरुआती चरणों में सरकारों को सटीक जानकारी देने में डब्ल्यूएचओ नाकाम रहा है; और यह भी कि वैश्विक सहयोग के बिना अपने दम पर संकट का समाधान करने में अमेरिका सबसे अच्छी हालत में है। यह न सिर्फ़ अमेरिका के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए ग़लत और ख़तरनाक है। उन देशों के लिए तो ख़ास तौर पर अकल्पनीय रूप से क्रूर है,जिनकी COVID-19 को लेकर की जाने वाली कोशिश पहले से ही अमेरिकी प्रतिबंधों और अमेरिका समर्थन से चलने वाले युद्धों के चलते ठीक से संचालित नहीं हो पा रही है। प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल लैंसेट के संपादक,रिचर्ड होर्टन के मुताबिक़, यह "मानवता के ख़िलाफ़ अपराध है", और स्वास्थ्य देखभाल करने वालों, वैज्ञानिकों और रोज़मर्रा के नागरिकों को इसके ख़िलाफ़ "विद्रोह" कर देना चाहिए।

WHO की फ़ंडिंग पर रोक लगाना अनैतिक, क्रूर और विश्व के लिए ख़तरनाक है | न्यूज़क्लिक