Saturday, April 25, 2020

पालघर में दो संतों समेत तीन लोगों की हत्या दुखद है। इस कृत्य को सिर्फ एक आपराधिक घटना मान कर छोड़ना ठीक नहीं होगा। क्योंकि ऐसी घटनाएं निश्चित ही किसी उत्प्रेरक विचार से प्रेरित और पोषित होती है। क्या दादरी के अख़लाक़, क्या अलवर के पहलू ख़ान, क्या बुलंदशहर के एसआई सुबोध कुमार और अब पालघर में संतों की हत्या, भीड़ का चरित्र एक है, निशाने पर हर जगह निर्दोष हैं। ये एक ऐसी रक्तपिपासु भीड़ हैं, जिसे सिर्फ एक ऑबजेक्ट चाहिए। वह ऑबजेक्ट किसी भी जाति-धर्म का हो सकता है। तो सवाल उठता है कि आखिर, इस रक्तपिपासु भीड़ का निर्माण होता कैसे है?

दादरी से पालघर: रक्तपिपासु भीड़ का ‘ह्यूबरिस सिंड्रोम’ कनेक्शन!   | न्यूज़क्लिक