Monday, March 23, 2020

जारी संकट से निबटने में केंद्र की पूर्ण विफलता इस हद तक पहुंच गई है कि न केवल राज्य सरकारें बल्कि सरकारी चिकित्सकों ने भी सार्वजनिक रूप से स्थिति को लेकर अपनी चिंता जताई है. 14 मार्च को महाराष्ट्र के सेवाग्राम में स्थित कस्तूरबा अस्पताल में औषधि और चिकित्सा के महानिरीक्षक डॉ. एस. पी. कालांतरी ने मरीजों का उपचार न कर पाने की अपनी विवश्ता को ट्विटर पर साझा किया. उन्होंने ट्वीट किया, “गंभीर प्रकार के निमोनिया के मरीज का उपचार आईसीयू में कर रहा हूं. मैं जान नहीं पा रहा हूं कि कौन जिम्मेदार है : बैक्टीरिया या वायरस. इलाके की प्रयोगशाला ने मरीज के सैंपल की कोविड-19 जांच करने से इनकार कर दिया है क्योंकि मरीज का यात्रा इतिहास नहीं है. क्या यह नहीं माना जाना चाहिए कि परीक्षण का मानदंड अत्याधिक सीमित है.” उसी शाम उन्होंने एक बार फिर ट्वीट कर कहा, “कोविड-19 के लिए केवल 10 प्रतिशत लैब क्षमता का अब तक इस्तेमाल किया गया है, सरकारी लैबें निमोनिया के गंभीर रोगियां की जांच करने से मना कर रही हैं बस लिए कि उनका यात्रा का इतिहास नहीं है.”

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