Monday, February 17, 2020

मोदी के इस आश्वासन को गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने पिछले सप्ताह संसद में एक प्रश्न के जवाब में अपने लिखित उत्तर में दोहराया, जब उन्होंने कहा था, "अभी तक सरकार ने नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर को तैयार करने के संबंध में राष्ट्रीय स्तर पर कोई निर्णय नहीं लिया है।" उनके आश्वासनों को ख़ारिज कर दिया गया है क्योंकि सरकार के अंदर से इसको लेकर विरोधाभासी स्वर सुनने को मिल रहे हैं। उदहारण के तौर पर 1 अक्टूबर को कोलकाता की एक रैली में गृह मंत्री अमित शाह द्वारा दिए गए बयान को ही देख लें, जिसमें उनका कहना था कि, "मैं आज हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध और ईसाई शरणार्थियों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि केंद्र की ओर से आप सबको भारत छोड़ने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा।" शाह ने कहा था कि इससे पहले कि बंगाल में एनआरसी की प्रक्रिया शुरू हो, उससे पहले ही नागरिकता संशोधन विधेयक लागू हो जाने वाला है। और इसके बाद उन्होंने अपने खास लड़ाकू अंदाज में कहा था, “मैं आपको बता रहा हूं कि हम भारत के भीतर एक भी घुसपैठिये को बने रहने नहीं देने वाले हैं। हम एक-एक को यहाँ से खदेड़ कर रहेंगे। ”

शाहीन बाग़ का लक्ष्य होना चाहिए नागरिकता अधिनियम की धारा 14ए को निरस्त करवाना | न्यूज़क्लिक