Monday, February 17, 2020

सीएबी अब सीएए बन चुका है, जो ठीक उन्हीं सामाजिक समूहों की उसी श्रेणी को सुरक्षा घेरा मुहैया कराता है जिनके बारे में शाह ने अपने भाषण में जिक्र किया था। अब आप खुद ही बताएं, मोदी या शाह में से आखिर किसपर भरोसा किया जाये? यह भ्रम की स्थिति तब और गहरा जाती है जब केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद कहते हैं कि, '' एनआरसी को लेकर हमारी प्रतिबद्धता कायम है। लेकिन सरकार इसको लेकर पूरी तरह से स्पष्ट है ... जब कभी इसे किया जाना होगा, इसे नागरिकता अधिनियम की कानूनी जरूरतों और उसमें दिए गए प्रावधानों के तहत ही किया जायेगा। नित्यानंद राय द्वारा संसद में लिखित जवाब दिए जाने से एक पखवाड़े पहले, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था, “अभी तक इस सम्बन्ध में कोई चर्चा नहीं हुई है। लेकिन फिर भी यदि सिर्फ विचार के स्तर पर सोचें तो यदि कोई देश अपने यहाँ एनआरसी लागू करना चाहता है तो इसका विरोध भला क्यों होना चाहिए। क्या देश के नागरिकों के पास खुद का पंजीकरण नहीं होना चाहिए।” इन विरोधाभासी बयानों को देखकर ऐसा लगता है कि सरकार ने अभी भी एनआरआईसी को लागू करने की अपनी मंशा को खारिज नहीं किया है। इस सम्बन्ध में उसका सिर्फ यह कहना भर है कि एनआरआईसी को लेकर फैसला लिया जाना बाकी है। इससे इस संभावना को बल मिलता है कि एक बार एनपीआर तैयार करने की कवायद पूरी हो जाये तो एनआरआईसी के काम को हाथ में लिया जा सकता है।

शाहीन बाग़ का लक्ष्य होना चाहिए नागरिकता अधिनियम की धारा 14ए को निरस्त करवाना | न्यूज़क्लिक