Monday, February 17, 2020

दरअसल, चंद्रशेखर की विरासत पर बुलडोजर भले ही सरकार के आदेश पर चलाया गया है लेकिन इसकी पटकथा चंद्रशेखर के खासमखास होने का दावा करने वालों ने लिखी है। यह बात सही भी है कि चंद्रशेखर के निधन के बाद ऐसे लोग उनका नाम बेच कर अपना धंधा चला रहे हैं। चंद्रशेखर के निधन के बाद ही उनके विश्वसपात्र होने का दावा करने वाले कुछ लोगों ने उनकी राजनीतिक विरासत को हथियाने का षडयंत्र रचना शुरू कर दिया था। दरअसल, चंद्रशेखर ने अपने जीते जी अपने दोनों पुत्रों को राजनीति से दूर रखा। अपने दोनों पुत्रों पंकज शेखर औऱ नीरज शेखर से उन्होंने स्पष्ट कह दिया था कि यदि आप लोगों को राजनीति करनी हो तो पहले किसी क्षेत्र में जाकर जनता की सेवा करो। इसी कारण चंद्रशेखर के निधन के बाद बलिया लोकसभा उपचुनाव में टिकट के लिए उनके दोनों पुत्रों में काफी विवाद हुआ था। उस समय चंद्रशेखर के एक तीसरे राजनीतिक उत्तराधिकारी भी सामने आए थे। वे लंबे समय तक चंद्रशेखर के ‘सेवक’ रहे। ‘सेवक’ महोदय का दावा है कि तीन-चार दशकों तक वह अध्यक्ष जी की सेवा करते रहे। इसलिए उनका राजनीतिक उत्तराधिकारी पंकज एवं नीरज नहीं बल्कि मैं हूं। बलिया लोकसभा सीट से टिकट की दावेदारी करते हुए उन्होंने दिल्ली के पत्र-पत्रिकाओं में लेख भी लिखे और लिखवाए थे। लेकिन चंद्रशेखर के राजनीतिक वारिस बनने में सफल नहीं हुए। इसके बाद उनकी चंद्रशेखर के परिवार से दूरी बनती गई।

पूर्व पीएम चंद्रशेखर की विरासत ध्वस्त, नरेंद्र निकेतन पर चला नरेंद्र मोदी का हथौड़ा! | न्यूज़क्लिक