Monday, February 17, 2020

“चेलों-शिष्यों” या “मुंशी-मैनेजरों” का रास्ता तब तक साफ था जब तक नीरज शेखर समाजवादी पार्टी में थे। उस समय मुंशी-मैनेजर संस्थाओं को पहले कांग्रेस सरकार और बाद में बीजेपी सरकार की मदद से हथियाने का प्रयास करते रहे। लेकिन जैसे ही नीरज शेखर समाजवादी छोड़ कर बीजेपी में आए तो खेल बदल गया। अब तक कई ‘सेवकों’ को यह लगता था कि बीजेपी सरकार में अपने संपर्कों-संबंधों का इस्तेमाल करते हुए वे चंद्रशेखर की विरासत पर कब्जा कर लेंगे, लेकिन नीरज शेखर के बीजेपी में आने से उनकी दाल गलने वाली नहीं थी। फिलहाल चंद्रशेखर विरासत उनके पुत्रों-परिजनों, समाजवादी कार्यकर्ताओं, “मुंशी-मैनेजरों” और ‘सेवकों’ के बीच बंट गई है। चंद्रशेखर के सुपुत्र औऱ उनके खास होने का दावा करने वाले अधिकांश लोग बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या चंद्रशेखर के चाहने लोग ही उनके विरासत को नष्ट करने में लगे हैं?

पूर्व पीएम चंद्रशेखर की विरासत ध्वस्त, नरेंद्र निकेतन पर चला नरेंद्र मोदी का हथौड़ा! | न्यूज़क्लिक