SAVE WEST BENGAL FROM TRINAMOOL CONGRESS

RESIST FASCIST TERROR IN WB BY TMC-MAOIST-POLICE-MEDIA NEXUS

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Monday, February 17, 2020

हालांकि जैसे ही यह देशभर में नागरिकों की दो अलग-अलग श्रेणी बनाता है, जिनमें से एक श्रेणी वैध घोषित कर जाती है और दूसरी श्रेणी में संदिग्ध नागरिकों की हो जाती है, उसी समय यह सीएए कानून अपने आप में भेदभावपूर्ण बन जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जो मुसलमान संदिग्ध नागरिकों की श्रेणी में पाए जायेंगे उनके लिए सीएए की ओर से कोई रक्षा कवच नहीं मुहैया किया गया है, और उनके साथ ही ये उन गैर मुस्लिमों पर भी लागू होता है जो बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से नहीं आए थे। जब तक वे अपनी भारतीय नागरिकता को साबित नहीं कर पाते उनके सामने अपनी नागरिकता के अधिकार को खो देने, बंदी बनाये जाने और निर्वासित किये जाने का खतरा बना रहने वाला है। और ऐसा एनपीआर-एनआरआईसी की आपस में जुड़ी कड़ी की प्रक्रिया के माध्यम से किया जाना संभव हो पाया है, जो नागरिकों और गैर-नागरिकों की दो श्रेणियां को तैयार करने का आधार पैदा करता है।

शाहीन बाग़ का लक्ष्य होना चाहिए नागरिकता अधिनियम की धारा 14ए को निरस्त करवाना | न्यूज़क्लिक