SAVE WEST BENGAL FROM TRINAMOOL CONGRESS

RESIST FASCIST TERROR IN WB BY TMC-MAOIST-POLICE-MEDIA NEXUS

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Sunday, April 26, 2020

दक्षिणी तमिलनाडु के कोनार समुदाय के लोगों की आय का मुख्य स्रोत भेड़ पालन और प्रजनन है, यह उनके पारंपरिक जातिगत व्यवसाय से जुड़ा है। जबकि भेड़ें इनके परिवार के झुंड का प्रमुख हिस्सा होती हैं, पर कभी-कभार ये लोग कुछ बकरी और गाय पालन करते भी पाए जाते हैं। ये परिवार आम तौर पर खुद को दो समूहों में बांट लेते हैं: इनमें से एक समूह खानाबदोश की ज़िंदगी जीते हैं, झुंड के साथ इधर से उधर जहां कहीं उन्हें चारे का बेहतर जुगाड़ दिखता है, वहां पर खेत मालिकों से इजाज़त लेकर टेंट या झोपड़ी बनाकर अस्थाई तौर पर रुक जाते हैं। परिवार का दूसरे समूह (अक्सर परिवार के बुजुर्ग) अपने पैतृक गांव में ही रहता है और खेतीबाड़ी सहित परिवार के बच्चों की देखभाल का काम करते हैं।

ग्रामीण भारत में कोरोना-22: लॉकडाउन का तमिलनाडु के गड़रिया समुदाय पर पड़ता असर | न्यूज़क्लिक