SAVE WEST BENGAL FROM TRINAMOOL CONGRESS

RESIST FASCIST TERROR IN WB BY TMC-MAOIST-POLICE-MEDIA NEXUS

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Friday, April 24, 2020

यह इस श्रृंखला की 20वीं रिपोर्ट है जो ग्रामीण भारत के जीवन पर कोविड-19 से संबंधित नीतियों से पड़ने वाले प्रभावों की तस्वीर पेश करती है। सोसाइटी फॉर सोशल एंड इकोनॉमिक रिसर्च द्वारा जारी की गई इस श्रृंखला में विभिन्न विद्वानों की रिपोर्टों को शामिल किया गया है, जो भारत के विभिन्न गांवों का अध्ययन कर रहे हैं। रिपोर्ट उनके अध्ययन में शामिल गांवों में मौजूद लोगों के साथ हुई टेलीफोनिक साक्षात्कार के आधार पर तैयार की गई है। लॉकडाउन के चलते पूरे त्रिपुरा के लोगों के जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव को इस रिपोर्ट में शामिल किया गया है। लैंड-लॉक्ड और गैर-औद्योगिक राज्य त्रिपुरा में भी अन्य राज्यों की तरह ही कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए उठाए गए क़दमों के चलते खेती-बाड़ी से जुड़े सभी कार्य बुरी तरह प्रभावित हैं। 15 फरवरी से 15 मई तक की अवधि खेती से जुड़े तीन अलग-अलग कार्यों के लिए आम तौर पर काफी महत्वपूर्ण होता है। सबसे पहले तो यह सब्जियों और आलू, टमाटर, दाल, मिर्च, अदरक, कद्दू, गोभी, फूलगोभी और तरबूज जैसी नक़दी फसलों की कटाई के लिए पीक सीजन होता है, जिन्हें साल में एक ही बार उगाया जाता है और इस दौरान ही इन्हें खेतों से निकाला जाता है। इन फसलों की कटाई के बाद अगली फसल की तैयारी के लिए मानसून से पहले-पहले खेतों को तैयार कर लिया जाता है।

ग्रामीण भारत में करोना-20: त्रिपुरा में ज़िंदगी थम सी गई | न्यूज़क्लिक