SAVE WEST BENGAL FROM TRINAMOOL CONGRESS

RESIST FASCIST TERROR IN WB BY TMC-MAOIST-POLICE-MEDIA NEXUS

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Monday, March 23, 2020

जैन जैसे डॉक्टर सालों से उन परिस्थितियों की चेतावनी देते रहे हैं जिसका आज हम सामना कर रहे हैं यानी कि हम जब एक महामारी का सामना कर रहे हैं तो देश के अस्पतालों में बैड, वैंटिलेटर, डॉक्टरों, नर्सों और प्रयोगशालाओं की कमी है. 2019 की राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल के अनुसार, देश में 1154686 रजिस्टर्ड एलोपैथिक डॉक्टर हैं और इनमें सरकारी डॉक्टरों की संख्या 115756 है जो नोवेल कोरोनावायरस की जांच और इलाज कर रहे हैं. इसका मतलब है कि प्रत्येक 10926 लोगों के लिए मात्र एक डॉक्टर उपलब्ध है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिश के तहत प्रत्येक 1000 व्यक्तियों में एक डॉक्टर होना चाहिए. 2016 में प्रकाशित समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत को 50000 गंभीर रोग विशेषज्ञों की आवश्यकता है जबकि उसके पास केवल 8350 हैं.

कोरोनावायरस : भारत में टेस्टिंग किट और अस्पतालों में स्टाफ की कमी